अस्‍पताल में भर्ती होने से पहले जान लें अपने अधिकार

अस्‍पताल में भर्ती होने से पहले जान लें अपने अधिकार

सुमन कुमार

यूं तो ईश्‍वर न करे कि किसी को भी कभी अस्‍पताल में भर्ती होने की नौबत आए मगर अगर फ‍िर भी ऐसी नौबत आ ही जाए तो ये समझ लें कि आप वहां किसी के रहमो-करम पर नहीं हैं। भले ही इलाज करना चिकित्‍सकों के हाथ में है मगर अस्‍पताल में भर्ती हर मरीज को इस देश का कानून कुछ अधिकार देता है। आमतौर पर डॉक्‍टरों द्वारा इस बारे में मरीज को जानकारी नहीं दी जाती मगर कॉरपोरेट अस्‍पतालों के आने के बाद रस्‍मी तौर पर ही सही मरीजों को अब उनके अधिकारों की जानकारी दी जाने लगी है। आप भी अगर कभी ऐसी स्थिति में फंसे तो बेहतर है कि पहले से ये जानकारी रखें कि वहां आप किन चीजों के हकदार हैं।

बिना भेद-भाव पूरी देखभाल का अधिकार

किसी भी अस्‍पताल में किसी मरीज के साथ उसकी जाति, वर्ण, पद, धर्म या उम्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। इलाज के लिए अस्‍पताल जाने वाले हर व्‍यक्ति इन पैमानों पर एक जैसा है। अगर इस तरह का कोई भेदभाव होता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

इंचार्ज डॉक्‍टर की जानकारी

अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद कई डॉक्‍टर अलग-अलग चीजों की जांच करने मरीज के पास पहुंचते हैं। ऐसे में मरीज को यह पता रहना चाहिए कि हकीकत में उसके इलाज की प्राथमिक जानकारी किस डॉक्‍टर के पास है। आमतौर पर मरीज की जो फाइल तैयार की जाती है उसपर और जिस वार्ड में उसे भर्ती किया जाता है उसके सूचना पट पर इंचार्ज डॉक्‍टर का नाम लिखा होना चाहिए। ये जानकारी इसलिए भी जरूरी है कि यदि कोई आपात स्थिति हो मरीज के परिजनों को डॉक्‍टर से संपर्क करने में आसानी हो।

बीमारी, इलाज और जोखिमों की जानकारी

हर मरीज और उसके परिजनों को यह अधिकार है कि वो बीमारी के बारे में पूरी तरह जानकारी हासिल करे। डॉक्‍टर उसका जो इलाज कर रहे हैं और भविष्‍य में किस तरह की जटिलताएं आ सकती हैं इसके बारे में जानना भी अधिकार में शामिल है।

खर्च की जानकारी

मरीज को अस्‍पताल में भर्ती होते समय खर्च की अनुमानित लागत जानने और पैसा कब तक दिया जाना है ये जानने का अधिकार। इसके अलावा यदि इलाज के बीच में खर्च में फर्क आने का अंदेशा हो तो मरीज और उनके तीमारदारों को इसके बारे में भी पूर्व सूचना हासिल करने का हक है।

सेकेंड ओप‍िन‍ियन का हक

मरीज को हक है कि वो अपनी बीमारी और इलाज के बारे में किसी भी समय दूसरे डॉक्‍टर की राय हासिल करे।

ट्रांसफर के बारे में सभी विकल्‍प की जानकारी

यदि किसी भी वजह से मरीज को एक अस्‍पताल से दूसरे अस्‍पताल ले जाने की जरूरत पड़ती है तो उसे और उसके तीमारदारों को दूसरे स्‍थान पर ले जाने के लिए वाहन के विकल्‍पों की पूरी जानकारी हासिल करने का हक है।

क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी

यदि किसी अस्‍पताल में किसी नए इलाज के लिए क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है तो संबंधित बिना मरीज को बताए उसपर उस नई चिकित्‍सा का प्रयोग नहीं कर सकते। मरीज को बताया जाना चाहिए कि ये इलाज अभी ट्रायल के स्‍तर पर है और अगर मरीज चाहे तो स्‍वेच्‍छा से इसमें हिस्‍सा ले सकता है। वैसे भारत में देखा गया है कि अधिकांश डॉक्‍टर इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते। वो मरीज को अक्‍सर ये कह के नए इलाज की ओर ले जाते हैं कि ये नई दवा या नई तकनीक आई है। वो मरीज को ये बताने से गुरेज करते हैं कि दरअसल ये क्लिनिकल ट्रायल है और इसका नतीजा गलत भी हो सकता है।

शिकायत दर्ज करने में समर्थ होना

हर मरीज को अस्‍पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज करने में समर्थ होना चाहिए। अस्‍पतालों में शिकायत दर्ज करवाने की उचित व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। मरीज को शिकायत दर्ज करने के बाद यह जानने का भी अधिकार है कि उसकी शिकायत पर आखिर क्‍या कार्रवाई हुई है।

 

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Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।